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गांव और शहर कविता | village and town poem in hindi

            गांव और शहर कविता घर आंगन की गोदी को रातों में मां की लोरी को नटखट यादों की बोरी को रेशम राखी की डोरी को कुछ पाने की लालच में पीछे बहुत कुछ छोड़ आए। हां हम शहर आए… हां हम शहर आए… पकती खेतों में बाली को खिलती आसमान में लाली को गाते गांव में कव्वाली को जलते जगमग दिवाली को कुछ पाने की लालच में पीछे बहुत कुछ छोड़ आए हां हम शहर आए… हां हम शहर आए… गांव और शहर कविता  सरसों पर खिलती रत्नों को बचपन के छोटे सपनों को घर के हर एक अपनों को गृहस्थ जीवन के विघ्नों को कुछ पाने की लालच में सबसे हर नाता तोड़ आए हां हम शहर आए…हां हम शहर आए… हमारी अन्य रचनाएं :-- मणिपुर की घटना गम की परिस्थिति कविता

प्रेम में तरफदारी|प्रेम पर कविता हिंदी में

 हिंदी में प्रेम पर कविता- तुम जिस दिन उससे मुक्ति चाहोगी, खुदा कसम नहीं पछताओगी, वह अपने प्रेम की तरफदारी करेगा, वह अपना पक्ष तुम्हारे समक्ष रखेगा, तुम्हें उसकी बातें तार्किक लगेगी, तुम्हें उसकी तरफदारी सही लगेगी, मन के गहवर में थोड़ा ग्लानि होगा, पर  फैसला फिर भी अडिग होगा, तुम जिस दिन उसको ना कहोगी, मौत उस दिन उसको हां कहेगी। हिंदी में कविता हिंदी में शायरियां:- 1-शाम-ए-महफिल में कोई साकी हो तो बताओ, तूफानी समंदर में कोई जहाजी हो तो बताओ,  यूं तो दिल टूट जाने का दावा हर कोई करता है गम-ए-बारात में कोई धोखेबाजी हो तो बताओ। 2-सोलह श्रृंगार कर आई नवेली, पवन घटा संग करत ठिठोली, गरज गरज कर बदरा बरसे, गगन धरा संग करत अठखेली 3-आज तेरे महफिल से रुसवा हुए हम,  एक दिन तेरे जिंदगी से रुखसत हो जाएंगे हम।

Poetry in hindi|हिंदी में कविताएं

दहेज पर कविता: पिता के चेहरे पर मायूसी, मुझसे देखी जाती ना, भाव विभोर हुआ मन मेरा, चैन कहीं भी पाती ना, हुई लालची दुनिया सारी, मैं मोलभाव कर पाती ना, पिता के आंखों में आंसू लाके, दुनिया नहीं बसाना है, मुझे साजन घर नहीं जाना है। ग़ज़ल: लाल स्याही की किताब बन जाओ तुम, सर्द मौसम का आफताब बन जाओ तुम, तुम्हारा सजदा ही हो ख्वाहिश मेरी, मेरे फुलवारी का गुलाब बन जाओ तुम। निशाचरी बेला में जो झकझोर के उठा दे, सर्द रातों की ऐसी ख्वाब बन जाओ तुम। तुम्हारे आगोश में हम खोए रहे दिन रात, मयकदे की ऐसी शराब बन जाओ तुम। हर तरफ बस तुम्हें ही पाने की जिद हो, मेरे दिल के शहर का इंकलाब बन जाओ तुम। उम्र का तकाजा अब जीने नहीं देता, आकर मेरी जिंदगी का शबाब बन जाओ तुम।

बेटी का जीवन|beti ka jiwan

 भले टटोलती धूप रात में, देख चांद की लाली, रखती पग कांटो के डहर पर, पीती विष भर भर प्याली। कठिन राह पर सजग मन से, गाती उमंगी गीत कव्वाली। सुख दुख हंसना है झोली में, मैं हुई दुखों की मतवाली। छूट गया संग मात पिता का, भूल गए बात वे घरवाली। कोस रहे अपने किस्मत को, जन्मी क्यों इस घर में लाली। मिला शक्ति जो आत्म ग्लानि से, तो दुत्कार मैं सह लूंगी, मैं बेल वृक्ष की नव पल्लव पर, जीवन गाथा लिख दूंगी। बेटी का जीवन चर्चा:- वर्तमान समय में बेटियों की स्थिति पहले के मुकाबले काफी सुधर चुकी है। परंतु कुछ परिस्थितियों में बेटियों की स्थिति अतीत के समान ही है ।अभी भी बेटियों को घर के कामों में अधिकतम समय देना पड़ता है। बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए काफी  संघर्ष करना पड़ता है। उच्च शिक्षा उनके लिए वरदान समान है। बेटियां आज भी बाहर निकलने से डरती हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई भी सही कदम नहीं उठाए गए हैं। बेटियों के काबिलियत पर आज भी शक किया जाता है परंतु इन्होंने साबित कर दिया कि बेटियां भी किसी से कम नहीं है। वर्तमान समय में सेना, वैज्ञानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र एवं विभिन्न क्ष

Natural beauty|उसकी तरफ कोई देखता ही नहीं

 आज भी वह शीत वाली सुबह है, आज भी लहलहाते फसलों की खुशबू है, चिड़ियों की चहचहाहट और कोयल की बोली भी है, नहीं है तो किसी के पास समय, इसे देखने का इसे सुनने का इसे महसूस करने का। ठंडी की सुबह आज भी दोनों हाथों से स्वागत करती है, जो उनके प्रेमी हैं, परंतु उसके चौखट पर कोई मेहमान आता ही नहीं। गर्मी की शाम सिर्फ खेतों को ठंडा करती हैं, उसके इस गुण का स्वाद तो कोई लेता ही नहीं। व्यस्ततम दुनिया भूल गई अपने उस साथी को, जो जन्म से मरण तक साथ रहता है, भूल गई उसकी अमिट छाप को,  जो हर पल उसके साथ रहता है। प्रकृति आज भी मुस्कुरा दे गर देख दो उसकी तरफ, कमबख्त उसकी तरफ कोई देखता ही नहीं। Natural beauty चर्चा:- आधुनिक काल में लोक पश्चिमी  संस्कृति की तरफ बढ़ते जा रहे हैं और अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। प्रकृति जो हमारा पालन-पोषण करती है हम उसके महत्व को भूलते जा रहे हैं। हमारे पास अभी इतना भी समय नहीं है की प्रकृति को कुछ समय दान दे सकें। प्रकृति अपनी सुंदरता से अभी भी पूर्ण है परंतु उसकी तरफ किसी की नजर ही नहीं पड़ती, लोग बस कृतिम वस्तुओं की तरफ आकर्षित होते दिख रहे हैं। खेत खलि

Sad love poem in Hindi|साजन कब आओगे

यह हवा का झोंका दरवाजे पर क्यों आता है, मुझे आहट सी होती है उनके आने की, जब से वे गए हैं दुश्मन बन गई येे तितलियां , इनके आने से ख्वाहिश होती है उड़ जाने की। बंजर भूमि पर भी लहलहाता सरसों होता था, सूखी नदियों में भी मछलियों का मंजर होता था, कड़ी धूप में भी सुहावने मौसम का आभास होता था, जब वे और उनका साथ मेरे साथ होता था। लगता है सौतन में मन लगा लिए हो, उसकी मोह में तपस्या भुला दिए हो, क्या मुझसे भी प्यारी बातें हैं उसकी, जो बातों में बातें दबा दिए हो। जब से गए हो क्या याद मेरी ना आई, उसकी आंचल में क्या तुमने करवट लगाई, मैं बिलखती सुलगती विरह अग्नि में, तेरी यादों में बैठी हूं पलके बिछाई। Sad love poetry in Hindi Sad love poem in Hindi चर्चा: - उपरोक्त पंक्तियों में एक स्त्री के विरह का वर्णन किया गया है। अक्सर यह देखा गया है कि जन्म जन्म का साथ निभाने वाला व्यक्ति अपनी पत्नी का साथ छोड़कर बाहर कमाने के लिए चला जाता है। ऐसी परिस्थिति में पत्नी बिल्कुल अकेले पड़ जाती है। क्योंकि ससुराल में पति ही उसका एकमात्र सहारा होता है जो उसकी भावनाओं को समझ सके। Sad love poem in Hindi में वह स्त्री

Sad poem in Hindi|कोई तो इन्हें जगा दो

हे सुनो उठो देखो सब आए हैं, भीड़ लगी द्वारे पर अपने, सब तुम्हारी आस लगाए हैं। फूट-फूटकर रो रहे बापू जी, ननदो की आंखें लाल भाई हैं, कब से एक टक देख रही अम्मा जी, बैठी अकेली दुख के नीर सहेज रही हैं। हे  कोयल तुम कहां छुपी हो, सुबह हो गई दिन चढ़ गए हैं, शायद तुम्हारी आवाज के खातिर, अभी तलक ये सोए हुए हैं। हे  कागा अब तुम ही जगा दो, छत पर जाकर आवाज लगा दो, उन्हें पता चले कि सुबह हुई है, इसीलिए यह बांग हुई है। शायद तुम नाराज हो मुझसे, कल की सारी बातों से, जिद करके मैं रोक रही थी, तुम को बाहर जाने से। सफेद रंग पसंद नहीं था तुमको, फिर क्यों इसमें लपिटाए हुए हो, इतनी लकड़ियां क्यों आ रही घर पर, क्यों मुझको भरमाए हुए हो। क्या तुम्हें बिल्कुल फिक्र नहीं है मेरी, जो गहरी नींद में सो गए हो, देखो बाबूजी क्या कह रहे मुझसे, तुम मुझे छोड़ कर चले गए हो। Sad poem in Hindi चर्चा:- उपरोक्त पंक्तियों में बहुत ही गहरा दुख व्यक्त किया गया है। एक नवविवाहित स्त्री के वियोग का वर्णन किया गया है। इन पंक्तियों में उसके अंदर का दुख शब्दों के माध्यम से देखा जा सकता है । उपरोक्त पंक्तियों में स्त्री अपने पति की मृ

Jindagi Ka arth|जिंदगी का अर्थ

बारी बारी से सबने अपना दिल बहलाया, खुशियां वे ले गए गम मेरी झोली में आया, ऐ जिंदगी तुझसे इतनी शिकायत कभी ना थी, यही जिंदगी का दस्तूर है बोलकर सबने मुझे भड़काया । तू तो माली है उस  तपोवन का, जहां आत्मा को ईश्वर का बोध होता है, तेरी शिकायत करना तो निर्लज्जता है मेरी, तेरे कर से ही तो पुष्पो का शोध होता है। तू है तो अनुभव है इस भौतिक संसार का, तेरे होने से ही तो सीखा है  अभिनय तेरे किरदार का, तू नहीं तो मंच सूना फिर क्या दर्शक के इंतजार का, इन्हें भी तो देखना है लुटती हुई दौलत हकदार का। खत्म हुए गिले-शिकवे जब जाना क्या है जिंदगी, यह सब मेरे कर्मों का फल है जाना अब ऐ जिंदगी, शिकायत तुझसे जो किया क्षमा कर देना मुझको ऐ जिंदगी, शत शत नमन तेरे कर्मों को दिया मुझे जो ये जिंदगी। Jindagi Ka arth चर्चा:- इस भौतिक संसार में बहुत से ऐसे प्राणी है जिन्हें अपनी जिंदगी से एक समय पर नफरत हो जाता है। परंतु इस प्रक्रिया में जिंदगी का कोई दोष नहीं होता। जिंदगी तो वो चीज है जो तुम्हें भौतिक चीजों से अनुभव कराती हैं, तुम्हें इस संसार में अनुभव प्राप्त करने का मौका प्रदान करती है। ऐसी परिस्थिति में जिंदगी क

Kavita in Hindi|कृष्ण तुम लौटकर आओ

गदा, त्रिशूल या चक्र चलाओ, धरा पाप से मुक्त कराओ, हे गोविंद तुम बनो सहायक, कलयुग में भी लौटकर आओ। नहीं सुरक्षित घर की नर-नारी, सता रहे हर क्षण व्यभिचारी, मदन मोहन कृपा दिखलाओ, कलयुग में भी लौटकर आओ। अब रहा फर्क ना पाप-पुण्य में, पनप रहे व्यापारी धर्म में, श्री  कृष्ण तुम बनो सहायक, इनको धर्म का पाठ पढ़ाओ, कलयुग में भी लौटकर आओ, छल,कपट, चोरी, बेईमानी, मानव स्वभाव की बनी निशानी, प्रेम, सज्जनता रख ताख पर, खाता बासी भात पुरानी, सद्बुद्धि दो इनको आकर, मानवता  की ज्योति जलाओ, कलयुग में भी लौट कर आओ। Kavita in hindi चर्चा:- इस कलयुग में पाप बढ़ता ही जा रहा है। धर्म तो मानो एक व्यापार की तरह हो गया है। धर्म का प्रयोग राजनीतिक तथा आर्थिक लाभ के लिए किया जा रहा है। वह युग अब खत्म हो चुका है जब धर्म को पूज्य एवं सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। धर्म से लोगों को मानवता तथा सज्जनता की शिक्षा प्राप्त होती थी। परंतु वर्तमान काल में धर्म के लिए लोग मारकाट करते जा रहे हैं। कलयुग की इस विषम परिस्थिति में भगवान श्री कृष्ण आप की बहुत ही आवश्यकता है। जिस प्रकार आप हर युग में पाप का नाश करने के लिए अलग-अलग अवतार

Hindi poetry|मेरी अधूरी कहानी

हूं मैं शायर कहानी सुनाता तुझे, आ गए पहलू में दिल धड़कने लगा, उनकी होठों की मुस्कान कातिल लगी, धीरे धीरे से सब कुछ समझने लगा। आए हैं मेरे दिल को चुराने यहां, इन अदाओं से मुझको बुलाने लगे, खिंचता चलता गया मैं तो उनकी तरफ, उनकी कातिल निगाहें सताने लगे। आके बोली कि क्या हाल तेरा है अब, तुझे देखे हुए एक जमाने हुए, शायद आई नहीं याद मेरी तुझे, इसलिए बैठे हो तुम भुलाए हुए। इतना सुनकर मेरा हाल ऐसा हुआ, लगता अम्बर से परियां बुलाने लगी, बुझता दिया जला फिर से दिल में मेरे, रफ्ता रफ्ता मेरे पास आने लगी। सपने  बुनता रहा मैं खड़े के खड़े, इतने में एक सुनामी लहर आ गई, मम्मी कहकर पुकारा किसी ने उसे, उसकी बेटी मुझे भी नजर आ गई। सपने  टूटे मेरे मैं तो गया ठहर, नम आंखें मेरी मुझसे कहने लगे, बनजा शाकी मिट जाए गम सारे तेरे, आज मयखाने भी है बुलाने लगे। Hindi poetry मेरी इस कविता को भी जरूर पढ़ें। मानवता की हत्या दर्दे दिल

Hindi poem|संकल्प हमारा है

ठोकर जितनी लगेगी , हौसले उतने ही मजबूत होंगे, आज समय विपरीत है तो क्या, एक दिन यह कायनात भी मेरे होंगे। बंद है मेरी किस्मत, परिस्थिति के तहखाने में, कभी तो मिल ही जाएगी इसकी चाभी, अभी चालाकी इतनी भी नहीं जमाने में। डुबोना तुम चाहते थे पतवार मेरी, डूब तुम्हारा ईमान गया, मैं तो तिनके से भी तैर सकता था, मुझे डुबोते वक्त शायद यह भूल गया। मैं तो पथिक हूं ना रुकना जानता हूं, राहों में पड़े कांटो से लड़ना जानता हूं, यह हुनर मेरी कोई पैदाइशी नहीं, तुमने ही सिखाया है जो मैं चलना जानता हूं। जो ठान कर आए हो यहां, उसे पूरा करके ही सोना है, गर थक कर बैठ गए आज पथ पर, तो अपनी ना कामयाबी पर हर पल रोना है। Hindi poem|संकल्प हमारा है Hindi poem चर्चा:- उपरोक्त पंक्तियां दृढ़ निश्चय और  संकल्प की तरफ इशारा करते हैं। व्यक्ति जब अपने मन में कुछ ठान लेता है और वह अपने कार्य के प्रति ईमानदार हो जाता है तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है।। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में रुकावटें और कठिनाइयां सभी के समक्ष आती हैं परंतु इन कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए बल्कि इनसे मुकाबला करना चाहिए जिससे तुम्हारे सफलता का म

Manavta ki hatya|मानवता की हत्या

था वह युग मानवता का, गज को गणेश बनाया था, सिद्ध किया मानव अस्तित्व को, पत्थर को पूज्य बनाया था। सतयुग,द्वापर, त्रेतायुग में, स्वार्थ मुक्त बलिदान था, खेलते थे भरत सिंह से, मानव जाति पर अभिमान था। आ गया है घोर कलयुग, प्रेम ,स्नेह का अंत हुआ, छल,कपट,चोरी,बेईमानी, मानव स्वभाव का अंग हुआ। क्या कसूर था उस नन्हीं जान का, जिसको कोख में है मार दिया, देख ना पाई चलन जहां का, मां का हृदय भी चीर दिया। मर गए हैं जमीर सबके, यह देख हृदय तड़पता है, छेद हुआ मानवता की जड़ में, छोड़ो, किसी को क्या फर्क पड़ता है। Manavta ki h चर्चा:- यह कविता केरल की घटना से प्रेरित होकर लिखी गई है। जिस प्रकार एक गर्भवती हथिनी की हत्या की गई यह  मानवता की हत्या ही कह लाएगी। मानव सभ्यता प्रकृति के साथ ही प्रारंभ हुई है और मानव को प्रकृति में जीव जंतुओं को भी हिस्सेदारी देनी पड़ेगी। मानव यदि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता है तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी। Manavta ki hatya उपरोक्त पंक्तियों में यह बताया गया है कि किस प्रकार मानव का स्वभाव था कि वह  हाथी को गणेश के समान मानता था परंतु अब केरल में उसी  हाथी की हत्या कर दी गई।

Kisan|रोपण के दिन

पंछी कूदे पल्लव पल्लव, कागा भी टेरी लगाए, भवन छोड़ निकली तितली सब, लगता रोपण के दिन आए। खेतन कामिनी लगी अकेले, रोपत धान मुस्काए, धोती जांघ बराबर बांधे, सावन गीत गुनगुनाए। बार-बार मराल के नयना, अबला को देखत जाए, हिला कपाल दाएं बाएं से, टोली हो रहा चिढ़ाए। मेंढक मेढ़ किनारे बैठा, टर टर की बांग लगाए, डर कर दुबकी मृगनयनी, फिर पति को रही बुलाए। रोपत धान दृश्य देखकर, मन गदगद हुई जाए, लगा  किसान नित्य खेतन में, उसका वही स्वर्ग कहलाए। Kisan ke Ropan ke din शब्दार्थ:- कामिनी-- स्त्री मराल--हंस पल्लव--पत्ता चर्चा:-kisan प्रस्तुत पंक्तियों में गांव के आषाढ़ महीने का वर्णन किया गया है। इस महीने में धान की रोपाई की जाती है। गांव में धान की रोपाई के लिए औरतों की टोली खेतों में काम करती है। पुरुष खेत को बराबर करने तथा रोपने योग्य बनाते हैं। उपरोक्त पंक्तियों में किस प्रकार एक अबला स्त्री खेत में धान की रोपाई करती है तथा उस समय का जो दृश्य है उसी का वर्णन किया गया है। धान की रोपाई करते समय आसपास विभिन्न प्रकार के जीव जंतु तथा पंछियों की कौतूहल रहती है। धान की रोपाई करते समय अबला अपनी धोती को भीगने से

Love poetry|दर्दे दिल

इश्क के नाम को ना दागदार बनाओ तुम, मेरे सीने पर बैठकर ना आग जलाओ तुम, जानता हूं खंजर, छूरी, भाला, सब है तुम्हारे पास, सीधे छाती में उतार दो ना तड़पाओ तुम। जाने कौन सी घड़ी थी,   जब मुलाकात हुई तुमसे, तुम्हारी साजिश को ना समझ सका, जब बात हुई तुमसे, मैं बेखबर रहा तुम्हारी हर एक बात से, दीया क्यों मुझे यह जख्म, जाने कौन सी भूल हुई मुझसे। समझ सकी ना मेरी चिंता, मैं आस लगाए बैठा था, नैया डूब रही सरिता में,  मैं पार जाने को बैठा था। चली गई छोड़ कश्ती में, संसार हमारा डूब रहा, खत्म किया रिश्ते नाते सब, तिनके का भी सहारा ना रहा। कौन करेगा तुम पर भरोसा, करनी तुम्हारी दूषित है, सिसक सिसककर रोवोगे तुम, यह तन मन सब प्रदूषित है। छोड़ो तुमको माफ किया मैं, होगा किसी पर अब विश्वास नहीं, बन सकी ना तुम मेरी अर्धांगिनी, तुम नहीं तो कोई और सही। Love poetry Love poetry in Hinglish:- Ishq ke naam ko na dagdar banao Tum, Mere Sine per baithkar na Aag jalao tum, Main jaanta hun Khanjar chhori sab hai tumhare pass, Sidhe chhati mein utar do Na tadpao Tum.

जिंदगी के मायने

उसूल और जिम्मेदारी के साथ जीना आसान नहीं होता, धधकते हुए  शोले पर चलकर घाव छुपाना पड़ता है, यूं ही तालियां नहीं बजती मजलिस-ए-खास में, गीली आंखों को सूखी रेत से सुखाना पड़ता है। कुछ मनचाही ख्वाहिशों को दबाना पड़ता है, कुछ रूठे हुए पेड़ों को मनाना पड़ता है, नुकीले कांटो भरे रास्ते क्यों ना हो, हमें मंजिल की तरफ बढ़ते जाना पड़ता है। कुछ सुनकर अनसुना करना पड़ता है, कुछ तीखे वार सहना पड़ता है, गर घंटों मेहनत पर ठंडी राख मिले, तो उसी राख में अग्नि जगाना पड़ता है। मैंने यह दरिया पार कर लिया, अब हर मंजिल आसान लगता है, मैं भी बन सकता था इस भीड़ का हिस्सा, पर मुझे मंच से बोलना अच्छा लगता है। जिंदगी से जंग व्याख्या:-           प्रस्तुत पंक्तियों में कभी अपने जीवन के संघर्षों के बारे में वर्णन करता है। उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने यह दर्शाया है कि जीवन में उसूल और जिम्मेदारी के साथ जीना सरल नहीं होता यह अत्यंत कठिन होता है। जिस प्रकार एक धड़कते हुए शोले पर चलना कठिन होता है उसी प्रकार जीवन में उसूल बनाकर जीना भी कठिन होता है। समाज में यूं ही लो