हे सुनो उठो देखो सब आए हैं,
भीड़ लगी द्वारे पर अपने,
सब तुम्हारी आस लगाए हैं।
फूट-फूटकर रो रहे बापू जी,
ननदो की आंखें लाल भाई हैं,
कब से एक टक देख रही अम्मा जी,
बैठी अकेली दुख के नीर सहेज रही हैं।
हे कोयल तुम कहां छुपी हो,
सुबह हो गई दिन चढ़ गए हैं,
शायद तुम्हारी आवाज के खातिर,
अभी तलक ये सोए हुए हैं।
हे कागा अब तुम ही जगा दो,
छत पर जाकर आवाज लगा दो,
उन्हें पता चले कि सुबह हुई है,
इसीलिए यह बांग हुई है।
शायद तुम नाराज हो मुझसे,
कल की सारी बातों से,
जिद करके मैं रोक रही थी,
तुम को बाहर जाने से।
सफेद रंग पसंद नहीं था तुमको,
फिर क्यों इसमें लपिटाए हुए हो,
इतनी लकड़ियां क्यों आ रही घर पर,
क्यों मुझको भरमाए हुए हो।
क्या तुम्हें बिल्कुल फिक्र नहीं है मेरी,
जो गहरी नींद में सो गए हो,
देखो बाबूजी क्या कह रहे मुझसे,
तुम मुझे छोड़ कर चले गए हो।
Sad poem in Hindi |
बहुत खूब फौजी क्या दर्द बयां किया।।
जवाब देंहटाएंThanks brother
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