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मानवता की जीत भाग-1 ......

एक गांव में एक पहलवान रहता था। वह बहुत ही ईमानदार एवं कर्मठ था। उसके परिवार में केवल उसकी एक बूढ़ी मां रहती थी। पहलवान दंगल करके पैसे कमाता था। दंगल में जीते हुए पैसों से अपना भरण-पोषण करता था। उसका पड़ोसी सुरेश उसे देख कर बहुत जलता था । हमेशा उसे झुकाने की कोशिश करता था। सुरेश एक साहूकार था। उसके पास पैसों की कमी नहीं थी। सुरेश बहुत ही क्रूर और घमंडी था। पर मजबूरी की वजह से लोगों को उसके पास जाना पड़ता क्योंकि गांव में और कोई आवश्यक वस्तुओं की दुकान ना थी। सुरेश की दुकान पर गांव का लगभग प्रत्येक व्यक्ति कर्जदार था। सुरेश कर्जा वसूलने में बिल्कुल भी रहम नहीं दिखाता था। यदि गांव में किसी को कोई भी समस्या होती तो वह पहलवान के पास जाते थे क्योंकि पहलवान हर समस्या का कोई न कोई हल निकाल लेता परंतु जब बात पैसे की आती थी तो लोग सुरेश के पास जाते थे। पैसे के अलावा अन्य कामों के लिए लोग पहलवान के पास जाते थे इसीलिए सुरेश को जलन होती थी उसे लगता था की यह गांव मेरे बिना भूखो मर जाएगा। सुबह-सुबह सुरेश की दुकान पर रामू काका सामान लेने पहुंच गए- सुरेश बेटा 1 किलो चावल दे दो इस बार फसल बहुत अच