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कल्पनाओं की दुनिया कैसी होती है। Dreams

 कल्पनाओं की आवश्यकता अक्सर हम कल्पना में खोए रहते है और वर्तमान से कटा हुआ महसूस करते है। जब हम वर्तमान की जिंदगी से थक चुके होते हैं और तनाव से मन भारी हो जाता है ऐसी स्थिति में कल्पनाओं का सहारा लेना पड़ता है। हमें मालूम होता है कि कल्पना वास्तविकता में नहीं आ सकती परंतु फिर भी क्षणिक खुशी की प्राप्ति के लिए हम कल्पनाओं में डूब जाते हैं। कल्पनाओ में हम बंधा हुआ महसूस नहीं करते,हमारे दायरे भी निर्धारित नहीं होते है। हम जैसा चाहे जिस तरह चाहे खुद को बना सकते हैं। कल्पनाएं-- जब व्यक्ति खामोश किसी एकांत में बैठा रहता है उस समय उसके मस्तिष्क में बहुत सारे विचार चलते रहते हैं। उन्हीं विचारों के मध्य वह एक कल्पनाओं का संसार गढ़ने लगता है। उस व्यक्ति की ऐसी इच्छाएं जिसे वह पूरा नहीं कर सका उसे अपनी कल्पनाओं में पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है। उसकी कल्पनाएं तो असीमित होती हैं वह उनमें डूब कर संसार की हर एक नायाब चीजों को हासिल कर लेना चाहता है। कल्पनाएं हर वक्त सकारात्मक ही नहीं होती कभी-कभी व्यक्ति के नकारात्मक भाव उसके कल्पनाओं में हावी हो जाते हैं। वह अपनी कल्पनाओं में उस व्यक्ति को भ