कल्पनाओं की आवश्यकता
अक्सर हम कल्पना में खोए रहते है और वर्तमान से कटा हुआ महसूस करते है। जब हम वर्तमान की जिंदगी से थक चुके होते हैं और तनाव से मन भारी हो जाता है ऐसी स्थिति में कल्पनाओं का सहारा लेना पड़ता है।
हमें मालूम होता है कि कल्पना वास्तविकता में नहीं आ सकती परंतु फिर भी क्षणिक खुशी की प्राप्ति के लिए हम कल्पनाओं में डूब जाते हैं। कल्पनाओ में हम बंधा हुआ महसूस नहीं करते,हमारे दायरे भी निर्धारित नहीं होते है। हम जैसा चाहे जिस तरह चाहे खुद को बना सकते हैं।
कल्पनाएं--
जब व्यक्ति खामोश किसी एकांत में बैठा रहता है उस समय उसके मस्तिष्क में बहुत सारे विचार चलते रहते हैं। उन्हीं विचारों के मध्य वह एक कल्पनाओं का संसार गढ़ने लगता है।
उस व्यक्ति की ऐसी इच्छाएं जिसे वह पूरा नहीं कर सका उसे अपनी कल्पनाओं में पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है। उसकी कल्पनाएं तो असीमित होती हैं वह उनमें डूब कर संसार की हर एक नायाब चीजों को हासिल कर लेना चाहता है।
कल्पनाएं हर वक्त सकारात्मक ही नहीं होती कभी-कभी व्यक्ति के नकारात्मक भाव उसके कल्पनाओं में हावी हो जाते हैं। वह अपनी कल्पनाओं में उस व्यक्ति को भी दंडित कर देता है जो कभी उसके मन को या तन को ठेस पहुंचाया होगा। वह हर ऐसे व्यक्ति को उसके अंजाम तक पहुंचा देता है जो उसके नजर में अपराधी या दंड देने लायक लगते हैं।
कल्पनाओं के लाभ:-
कल्पनाएं हमारे मस्तिष्क को शांति प्रदान करती हैं। जब कोई इच्छाएं किन्ही कारणों से पूरी नहीं हो पाती हैं तो मस्तिष्क में तनाव उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में हम कल्पनाओं के माध्यम से अपनी इच्छा को पूर्ण कर लेते हैं जिससे हमारे मस्तिष्क को शांति प्राप्त होती है।
जब कभी हमारे मन को किसी की वजह से ठेस पहुंचता है तो हम उसे कल्पनाओं में दंडित कर देते हैं इससे भी मन को शांति प्राप्त होती है।
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