इश्क के नाम को ना दागदार बनाओ तुम,
मेरे सीने पर बैठकर ना आग जलाओ तुम,
जानता हूं खंजर, छूरी, भाला, सब है तुम्हारे पास,
सीधे छाती में उतार दो ना तड़पाओ तुम।
जाने कौन सी घड़ी थी,
जब मुलाकात हुई तुमसे,
तुम्हारी साजिश को ना समझ सका,
जब बात हुई तुमसे,
मैं बेखबर रहा तुम्हारी हर एक बात से,
दीया क्यों मुझे यह जख्म,
जाने कौन सी भूल हुई मुझसे।
समझ सकी ना मेरी चिंता,
मैं आस लगाए बैठा था,
नैया डूब रही सरिता में,
मैं पार जाने को बैठा था।
चली गई छोड़ कश्ती में,
संसार हमारा डूब रहा,
खत्म किया रिश्ते नाते सब,
तिनके का भी सहारा ना रहा।
कौन करेगा तुम पर भरोसा,
करनी तुम्हारी दूषित है,
सिसक सिसककर रोवोगे तुम,
यह तन मन सब प्रदूषित है।
छोड़ो तुमको माफ किया मैं,
होगा किसी पर अब विश्वास नहीं,
बन सकी ना तुम मेरी अर्धांगिनी,
तुम नहीं तो कोई और सही।
मेरे सीने पर बैठकर ना आग जलाओ तुम,
जानता हूं खंजर, छूरी, भाला, सब है तुम्हारे पास,
सीधे छाती में उतार दो ना तड़पाओ तुम।
जाने कौन सी घड़ी थी,
जब मुलाकात हुई तुमसे,
तुम्हारी साजिश को ना समझ सका,
जब बात हुई तुमसे,
मैं बेखबर रहा तुम्हारी हर एक बात से,
दीया क्यों मुझे यह जख्म,
जाने कौन सी भूल हुई मुझसे।
समझ सकी ना मेरी चिंता,
मैं आस लगाए बैठा था,
नैया डूब रही सरिता में,
मैं पार जाने को बैठा था।
चली गई छोड़ कश्ती में,
संसार हमारा डूब रहा,
खत्म किया रिश्ते नाते सब,
तिनके का भी सहारा ना रहा।
कौन करेगा तुम पर भरोसा,
करनी तुम्हारी दूषित है,
सिसक सिसककर रोवोगे तुम,
यह तन मन सब प्रदूषित है।
छोड़ो तुमको माफ किया मैं,
होगा किसी पर अब विश्वास नहीं,
बन सकी ना तुम मेरी अर्धांगिनी,
तुम नहीं तो कोई और सही।
Love poetry |
Love poetry in Hinglish:-
Ishq ke naam ko na dagdar banao Tum,
Mere Sine per baithkar na Aag jalao tum,
Main jaanta hun Khanjar chhori sab hai tumhare pass,
Sidhe chhati mein utar do Na tadpao Tum.
Jaane kaun si ghadi thi,
Jab mulakat Hui tumse,
Tumhari sajish ko Na samajh saka,
Jab baat hui tumse.
Main bekhabar Raha tumhari har ek baat se,
Diya kyon mujhe ye jakhm
Jaane kaun si bhul Hui e mujhse.
Samajh saki na meri chinta,
Main aas lagaen baitha tha,
Naya doob Rahi Sarita mein,
Main paar jaane ko baitha tha.
Chali gai chodh kashti mein,
Sansar hamara doob Raha,
Khatm Kiya rishte naate sab,
Tina ke kab Sahara Na Raha.
Kaun Karega Tum per Bharosa,
Karni ye tumhari dushit hai,
Shikshak shisha kar roge tum,
Tan man sab pradushit hai.
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