हूं मैं शायर कहानी सुनाता तुझे,
आ गए पहलू में दिल धड़कने लगा,
उनकी होठों की मुस्कान कातिल लगी,
धीरे धीरे से सब कुछ समझने लगा।
आए हैं मेरे दिल को चुराने यहां,
इन अदाओं से मुझको बुलाने लगे,
खिंचता चलता गया मैं तो उनकी तरफ,
उनकी कातिल निगाहें सताने लगे।
आके बोली कि क्या हाल तेरा है अब,
तुझे देखे हुए एक जमाने हुए,
शायद आई नहीं याद मेरी तुझे,
इसलिए बैठे हो तुम भुलाए हुए।
इतना सुनकर मेरा हाल ऐसा हुआ,
लगता अम्बर से परियां बुलाने लगी,
बुझता दिया जला फिर से दिल में मेरे,
रफ्ता रफ्ता मेरे पास आने लगी।
सपने बुनता रहा मैं खड़े के खड़े,
इतने में एक सुनामी लहर आ गई,
मम्मी कहकर पुकारा किसी ने उसे,
उसकी बेटी मुझे भी नजर आ गई।
सपने टूटे मेरे मैं तो गया ठहर,
नम आंखें मेरी मुझसे कहने लगे,
बनजा शाकी मिट जाए गम सारे तेरे,
आज मयखाने भी है बुलाने लगे।
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