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My father|मेरे पिता

 पिता का कर्तव्य:- अक्सर आपने सुना होगा लोग पिता को उसके कर्तव्य के बारे में बताते रहते हैं परंतु उसकी परिस्थिति को कोई नहीं समझता। पिता अपने अंदर हर गम को छुपा कर परिवार को खुश रखता है। यदि मां को कोई समस्या हो या किसी अवसाद से गुजर रही हूं तो वे अपना सारा दुख पति के आगे रख देती हैं और पति उसे स्वीकार कर लेता है। परंतु यदि पिता को कोई अवसाद या पीड़ा होती है तो वह अपनी बात को दिल में ही दबा कर रखता है और किसी से भी अपने दुखों को नहीं बांट पाता। 1).परिवार की जिम्मेदारी:- ऐसा नहीं है कि स्त्रियां घर के खर्चे में अपना योगदान नहीं देती परंतु अभी भी देश का एक बड़ा हिस्सा उस परिस्थिति से गुजर रहा है जहां पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी एक पिता पर आ जाती है। उस घर में कमाने वाला सिर्फ एक और खर्च करने वाले अनेक होते हैं इससे परिस्थिति गंभीर बनी रहती है। घर में खानपान, पहनावा, इलाज, शिक्षा एवं अन्य चीजों की जिम्मेदारी पिता के माथे पर ही होती है। इन सभी जिम्मेदारियों से एक पिता मुंह नहीं मोड़ सकता। इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पिता किन किन परिस्थितियों से गुजरता है यह समझना बहुत ही मुश्किल

Sad poem in Hindi|कोई तो इन्हें जगा दो

हे सुनो उठो देखो सब आए हैं, भीड़ लगी द्वारे पर अपने, सब तुम्हारी आस लगाए हैं। फूट-फूटकर रो रहे बापू जी, ननदो की आंखें लाल भाई हैं, कब से एक टक देख रही अम्मा जी, बैठी अकेली दुख के नीर सहेज रही हैं। हे  कोयल तुम कहां छुपी हो, सुबह हो गई दिन चढ़ गए हैं, शायद तुम्हारी आवाज के खातिर, अभी तलक ये सोए हुए हैं। हे  कागा अब तुम ही जगा दो, छत पर जाकर आवाज लगा दो, उन्हें पता चले कि सुबह हुई है, इसीलिए यह बांग हुई है। शायद तुम नाराज हो मुझसे, कल की सारी बातों से, जिद करके मैं रोक रही थी, तुम को बाहर जाने से। सफेद रंग पसंद नहीं था तुमको, फिर क्यों इसमें लपिटाए हुए हो, इतनी लकड़ियां क्यों आ रही घर पर, क्यों मुझको भरमाए हुए हो। क्या तुम्हें बिल्कुल फिक्र नहीं है मेरी, जो गहरी नींद में सो गए हो, देखो बाबूजी क्या कह रहे मुझसे, तुम मुझे छोड़ कर चले गए हो। Sad poem in Hindi चर्चा:- उपरोक्त पंक्तियों में बहुत ही गहरा दुख व्यक्त किया गया है। एक नवविवाहित स्त्री के वियोग का वर्णन किया गया है। इन पंक्तियों में उसके अंदर का दुख शब्दों के माध्यम से देखा जा सकता है । उपरोक्त पंक्तियों में स्त्री अपने पति की मृ

History of love in future|भविष्य में प्रेम का इतिहास

22 वी सदी:- आज 22 वी सदी में यूं ही लोग प्रेम को स्वीकार नहीं कर रहे हैं इसके पीछे एक कठिन परिश्रम और त्याग छिपा हुआ है। हमारे पूर्वजों ने प्रेम को प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन लड़ाइयां लड़ी। यह लड़ाइयां शारीरिक कम मानसिकता से ज्यादा थी। बीते कई दशकों पूर्व प्रेम करना समाज में एक अपराध माना जाता था। परंतु उस परिस्थिति में भी लोग प्रेम करना नहीं छोड़े। प्रेम पर किसी का प्रभाव नहीं होता यह बात 21वी सदी में ही कुछ लोगों ने सिद्ध कर दिया। प्रेम करने के बाद उन्होंने अपनी प्रेमिका को भी हासिल किया तथा अपने परिवार एवं समाज के सोच को भी प्रभावित किया। हमारे पूर्वज एवं हमारे आदर्श लैला मजनू जिन्होंने समाज में पत्थरों के मार भी खाए तथा समाज से बेदखल भी कर दिए गए परंतु प्रेम की राह को नहीं छोड़ा। दुनिया को प्रेम का प्रसंग बताते बताते खुद मिट्टी में लीन हो गए। आज उन्हें दुनिया याद करती है जब भी प्रेम की बात का जिक्र होता है तो उसमें लैला मजनू का जिक्र जरूर होगा। सिर्फ प्रेम से संबंधित एक ही कहानी नहीं है ऐसे बहुत सारे हमारे पूर्वज हैं जिन्होंने समाज की रूढ़ीवादी सोच को बदल कर प्रेम का पाठ पढ़ाया

Jindagi Ka arth|जिंदगी का अर्थ

बारी बारी से सबने अपना दिल बहलाया, खुशियां वे ले गए गम मेरी झोली में आया, ऐ जिंदगी तुझसे इतनी शिकायत कभी ना थी, यही जिंदगी का दस्तूर है बोलकर सबने मुझे भड़काया । तू तो माली है उस  तपोवन का, जहां आत्मा को ईश्वर का बोध होता है, तेरी शिकायत करना तो निर्लज्जता है मेरी, तेरे कर से ही तो पुष्पो का शोध होता है। तू है तो अनुभव है इस भौतिक संसार का, तेरे होने से ही तो सीखा है  अभिनय तेरे किरदार का, तू नहीं तो मंच सूना फिर क्या दर्शक के इंतजार का, इन्हें भी तो देखना है लुटती हुई दौलत हकदार का। खत्म हुए गिले-शिकवे जब जाना क्या है जिंदगी, यह सब मेरे कर्मों का फल है जाना अब ऐ जिंदगी, शिकायत तुझसे जो किया क्षमा कर देना मुझको ऐ जिंदगी, शत शत नमन तेरे कर्मों को दिया मुझे जो ये जिंदगी। Jindagi Ka arth चर्चा:- इस भौतिक संसार में बहुत से ऐसे प्राणी है जिन्हें अपनी जिंदगी से एक समय पर नफरत हो जाता है। परंतु इस प्रक्रिया में जिंदगी का कोई दोष नहीं होता। जिंदगी तो वो चीज है जो तुम्हें भौतिक चीजों से अनुभव कराती हैं, तुम्हें इस संसार में अनुभव प्राप्त करने का मौका प्रदान करती है। ऐसी परिस्थिति में जिंदगी क

स्वतंत्रता दिवस पर कविता|भारत की कहानी

पुलकित पुष्प सुबह-सवेरे, मंत्रमुग्ध कर जाती हैं, कोयल की कू-कू को सुनकर, मीरा कृष्ण भजन को गाती है, प्रेम रस की प्यासी अभागी, पुष्प मनोहर चुन कर लाती है, कृष्ण  प्रेम की मधुर कहानी, घर-घर तक पहुंचाती है, भक्ति भाव से भरा हुआ, यह व्यथा नहीं पुरानी है, नहीं गाथा यह देवलोक का, मेरे भारत की यह कहानी है। जंग लगी तलवार में धार वह लगाती है, बैठ वह दरबार में शान को बढ़ाती है, गर्जना आवाज में पितृसत्ता को झुठलाती है, रोए उसके दुश्मन दांव ऐसा वह लगाती है, रण में हो अकेले पांव पीछे ना हटाती है, खूब लड़ी मर्दानी झांसी की रानी कहलाती है, वीरता से भरा हुआ, यह व्यथा नहीं पुरानी है, नहीं गाथा यह देव लोक का, मेरे भारत की यह कहानी है। दानवीर बहुतों को देखा,  हरिश्चंद्र सा दानी नहीं, दान किया संपत्ति सारा, मन में कोई ग्लानि नहीं, दर-दर भटकता ठोकर खाता, समझौता स्वाभिमान से नहीं, पत्नी बेची खुद को बेचा, पर बेचा अपना ईमान नहीं, झुक गए उसके आगे देवता, फिर भी उसे अभिमान नहीं, शील भाव से भरा हुआ, यह व्यथा नहीं पुरानी है, नहीं गाथा यह देवलोक का, मेरे भारत की यह कहानी। स्वतंत्रता दिवस पर कविता चर्चा:- हमारा दे

Kavita in Hindi|कृष्ण तुम लौटकर आओ

गदा, त्रिशूल या चक्र चलाओ, धरा पाप से मुक्त कराओ, हे गोविंद तुम बनो सहायक, कलयुग में भी लौटकर आओ। नहीं सुरक्षित घर की नर-नारी, सता रहे हर क्षण व्यभिचारी, मदन मोहन कृपा दिखलाओ, कलयुग में भी लौटकर आओ। अब रहा फर्क ना पाप-पुण्य में, पनप रहे व्यापारी धर्म में, श्री  कृष्ण तुम बनो सहायक, इनको धर्म का पाठ पढ़ाओ, कलयुग में भी लौटकर आओ, छल,कपट, चोरी, बेईमानी, मानव स्वभाव की बनी निशानी, प्रेम, सज्जनता रख ताख पर, खाता बासी भात पुरानी, सद्बुद्धि दो इनको आकर, मानवता  की ज्योति जलाओ, कलयुग में भी लौट कर आओ। Kavita in hindi चर्चा:- इस कलयुग में पाप बढ़ता ही जा रहा है। धर्म तो मानो एक व्यापार की तरह हो गया है। धर्म का प्रयोग राजनीतिक तथा आर्थिक लाभ के लिए किया जा रहा है। वह युग अब खत्म हो चुका है जब धर्म को पूज्य एवं सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। धर्म से लोगों को मानवता तथा सज्जनता की शिक्षा प्राप्त होती थी। परंतु वर्तमान काल में धर्म के लिए लोग मारकाट करते जा रहे हैं। कलयुग की इस विषम परिस्थिति में भगवान श्री कृष्ण आप की बहुत ही आवश्यकता है। जिस प्रकार आप हर युग में पाप का नाश करने के लिए अलग-अलग अवतार

Hindi poetry|मेरी अधूरी कहानी

हूं मैं शायर कहानी सुनाता तुझे, आ गए पहलू में दिल धड़कने लगा, उनकी होठों की मुस्कान कातिल लगी, धीरे धीरे से सब कुछ समझने लगा। आए हैं मेरे दिल को चुराने यहां, इन अदाओं से मुझको बुलाने लगे, खिंचता चलता गया मैं तो उनकी तरफ, उनकी कातिल निगाहें सताने लगे। आके बोली कि क्या हाल तेरा है अब, तुझे देखे हुए एक जमाने हुए, शायद आई नहीं याद मेरी तुझे, इसलिए बैठे हो तुम भुलाए हुए। इतना सुनकर मेरा हाल ऐसा हुआ, लगता अम्बर से परियां बुलाने लगी, बुझता दिया जला फिर से दिल में मेरे, रफ्ता रफ्ता मेरे पास आने लगी। सपने  बुनता रहा मैं खड़े के खड़े, इतने में एक सुनामी लहर आ गई, मम्मी कहकर पुकारा किसी ने उसे, उसकी बेटी मुझे भी नजर आ गई। सपने  टूटे मेरे मैं तो गया ठहर, नम आंखें मेरी मुझसे कहने लगे, बनजा शाकी मिट जाए गम सारे तेरे, आज मयखाने भी है बुलाने लगे। Hindi poetry मेरी इस कविता को भी जरूर पढ़ें। मानवता की हत्या दर्दे दिल