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My father|मेरे पिता

 पिता का कर्तव्य:-

अक्सर आपने सुना होगा लोग पिता को उसके कर्तव्य के बारे में बताते रहते हैं परंतु उसकी परिस्थिति को कोई नहीं समझता। पिता अपने अंदर हर गम को छुपा कर परिवार को खुश रखता है। यदि मां को कोई समस्या हो या किसी अवसाद से गुजर रही हूं तो वे अपना सारा दुख पति के आगे रख देती हैं और पति उसे स्वीकार कर लेता है। परंतु यदि पिता को कोई अवसाद या पीड़ा होती है तो वह अपनी बात को दिल में ही दबा कर रखता है और किसी से भी अपने दुखों को नहीं बांट पाता।

1).परिवार की जिम्मेदारी:-


ऐसा नहीं है कि स्त्रियां घर के खर्चे में अपना योगदान नहीं देती परंतु अभी भी देश का एक बड़ा हिस्सा उस परिस्थिति से गुजर रहा है जहां पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी एक पिता पर आ जाती है। उस घर में कमाने वाला सिर्फ एक और खर्च करने वाले अनेक होते हैं इससे परिस्थिति गंभीर बनी रहती है। घर में खानपान, पहनावा, इलाज, शिक्षा एवं अन्य चीजों की जिम्मेदारी पिता के माथे पर ही होती है।

इन सभी जिम्मेदारियों से एक पिता मुंह नहीं मोड़ सकता। इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पिता किन किन परिस्थितियों से गुजरता है यह समझना बहुत ही मुश्किल है।

2). बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी:-

हर माता-पिता का सपना होता है कि उसका पुत्र या पुत्री समाज में नाम कमाएं तथा उसकी प्रतिष्ठा सबसे उच्चतम हो और उसकी मानसिक विकास में कोई भी व्यवधान ना उत्पन्न हो। इन सब के विकास के लिए सबसे जरूरी चीज होती है शिक्षा।

शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व को संवरता एवं अलंकृत करता है। वर्तमान समय में शिक्षा बहुत ही महंगी हो चुकी है और इस महंगाई में बच्चों की शिक्षा के लिए पिता पर जिम्मेदारी और बढ़ चुकी है।
My father
My father


3). परिवार में संस्कार भरना:-

वर्तमान समय में समाज में आपराधिक घटनाओं को बढ़ते हुए देखा जा सकता है इसका एक मुख्य कारण संस्कारों में कमी हो सकता है।
बचपन से ही बच्चा जिस परिस्थिति को देखता है समझता है उसी के अनुसार उसमें विकास होने लगता है। ऐसे में माता एवं पिता दोनों की जिम्मेदारी है कि बच्चे को एक अच्छे संस्कार में उनका पालन पोषण करें।

यदि बचपन से ही उसे अच्छा संस्कार दिया जाएगा तो उस पर वर्तमान की अपराधिक परिस्थितियां हावी नहीं हो सकेगी। ऐसे में माता एवं पिता दोनों का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने बच्चों को उचित संस्कार दें।

4). परिवार में समानता:-

आजकल ऐसी घटनाएं निरंतर सुनने में आती हैं की बेटे को उच्च शिक्षा मिलती है परंतु बेटियों को शिक्षा से दूर रखा जाता है। ऐसी परिस्थिति में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है की परिवार में समानता की भावना रखनी चाहिए। यदि बेटे को उच्च शिक्षा मिल रहा है तो बेटी को भी उतना ही हक है।

यह कहना भी गलत नहीं है कि इस सदी में बहुत सुधार हुआ है और लोग बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाकर उच्च पद पर आसीन कराएं है।

निष्कर्ष:-

पिता के कर्तव्य को बस उपरोक्त बिंदुओं में ही सीमित नहीं किया जा सकता। मैंने तो कुछ ही बिंदुओं को उजागर किया परंतु पिता का कर्तव्य समंदर से भी ज्यादा विस्तृत एवं बड़ा है।

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