गांव और शहर कविता घर आंगन की गोदी को रातों में मां की लोरी को नटखट यादों की बोरी को रेशम राखी की डोरी को कुछ पाने की लालच में पीछे बहुत कुछ छोड़ आए। हां हम शहर आए… हां हम शहर आए… पकती खेतों में बाली को खिलती आसमान में लाली को गाते गांव में कव्वाली को जलते जगमग दिवाली को कुछ पाने की लालच में पीछे बहुत कुछ छोड़ आए हां हम शहर आए… हां हम शहर आए… गांव और शहर कविता सरसों पर खिलती रत्नों को बचपन के छोटे सपनों को घर के हर एक अपनों को गृहस्थ जीवन के विघ्नों को कुछ पाने की लालच में सबसे हर नाता तोड़ आए हां हम शहर आए…हां हम शहर आए… हमारी अन्य रचनाएं :-- मणिपुर की घटना गम की परिस्थिति कविता
मणिपुर गैंग रेप:- मैंने कभी इस राजनीतिक उठापटक पर टिप्पणी नहीं की। पर आज जब मणिपुर में ऐसी ह्रदय विदारक घटना के बारे में सुना तो मुझसे रहा नही गया । कोई किसी दल का समर्थक है तो कोई किसी परंतु कुछ चीजे ऐसी होती है जो इस दल के दलदल से बाहर होती है। मुझे लगता है की इस घटना को अगर सरकार ( सरकार का अर्थ यहां भारत सरकार तथा राज्य सरकार से है जो सत्ता में है ना कि किसी राजनीतिक दल से) नजर अंदाज कर देती है जैसा कि पिछले कई दिनों से मणिपुर की घटनाओं को किया जा रहा था तो फिर हमें ऐसे लोकतंत्र की कोई आवश्यकता ही नहीं है। मुझे लगता है कि आप सभी ने मणिपुर गैंग रेप वाला वीडियो देखा होगा । इनके मुस्कुराते चेहरे बता रहें है कि मुझे किसी का खौफ नहीं है। दरिंदगी का यदि कोई चरम होता है तो वो यही है। ऐसे लोगो के लिए मौत की सजा भी फीकी पड़ जायेगी। मेरा भारत सरकार तथा राज्य सरकार से अनुरोध है कि जल्द से जल्द इस घटना पर कार्यवाही कीजिए। एक निवेदन और है कि समिति गठित कर दिया हूं जांच चल रही है वाला भाषण मत दीजिएगा। Save manipur