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महिला सशक्तिकरण|women empowerment| महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला सशक्तिकरण का विकास:-

वर्तमान समय में समाज की जो भी विशेषताएं है इसका रूप गढ़ने में बहुत वक्त लगा। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में बहुत सारी परंपराएं एवं कुरीतियां व्याप्त थी परंतु समाज के अनुकूलन विशेषता के कारण परंपराओं में बदलाव आता गया।

महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण

ऋग्वेदिक काल में जिस तरह से महिलाओं तथा निम्न जातियों की स्थिति सुधरी हुई अवस्था में थी वही उत्तर वैदिक काल में महिलाओं से वेद पढ़ने ,सभा करने तथा शूद्रों से भी जनेऊ धारण करने तथा वेदों के अध्ययन पर रोक लगा दी गई। जिसके फलस्वरूप समाज में एक विशेष तबके का प्रभुत्व स्थापित हो गया। महिलाओं के शोषण को रोकने तथा महिला सशक्तिकरण में अलग-अलग समाज सुधारको ने अपना योगदान दिया है


प्राचीन काल से ही कुछ कुरीतियों का जन्म हुआ जो निम्न प्रकार है:-

1. सती प्रथा:-

                 सती प्रथा भारतीय समाज में व्याप्त बहुत ही अमानवीय प्रथा थी। इसके अंतर्गत किसी भी महिला के पति की मृत्यु हो जाने पर उस महिला को भी उसके पति के साथ जला दिया जाता था। यदि महिला इसका विरोध करती तथा सती होने से इंकार करती तो उसे जबरन चिता पर बिठा दिया जाता था।

राजा राममोहन राय ने इसे शास्त्र की आड़ में हत्या कहा। सती प्रथा का उन्मूलन वर्ष 1829 में एक कानून बनाकर किया गया।

2. बाल विवाह:-

                   प्राचीन काल से ही कम उम्र की बालिकाओं का विवाह कर दिया जाता था। छोटी लड़कियों की शादी बड़े बुजुर्गों के साथ भी कर दिया जाता था। कम उम्र में शादी होने पर बालिकाओं में तरह-तरह के रोग हो जाते थे जिससे उनकी मृत्यु हो जाती थी इसलिए यह एक अमानवीय प्रथा थी। 

1930 में हरबिलास शारदा के प्रयासों के कारण एक कानून बनाकर बालिकाओं की उम्र 14 तथा पुरुषों की उम्र 18 वर्ष कर दी गई।

3. विधवा पुनर्विवाह:-

                        सती प्रथा के उन्मूलन के बाद विधवाओं की स्थिति बहुत बिगड़ी हुई अवस्था में थी। विधवाओं को घर से बाहर रखा जाता था तथा उन्हें किसी भी खुशी में शामिल नहीं किया जाता था। विधवाओं को दोबारा विवाह करने की अनुमति प्राप्त नहीं थी ऐसे में उनका जीवन बहुत कठिन होता था।

तमाम समाज सुधारकों के आंदोलन के परिणामस्वरूप 1856 में 'हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम' बनाया गया। जिसके अंतर्गत विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति प्रदान की गई तथा उनसे उत्पन्न बच्चे को वैध माना गया।

वर्तमान में महिला सशक्तिकरण के लिए योजनाएं:-

1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
2. उज्जवला योजना
3. जननी सुरक्षा योजना
4. सबला योजना
5. मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम
6. दहेज निरोधक अधिनियम (1961)
7. महिलाओं का अश्लील प्रस्तुतीकरण निरोधक कानून (1986)
8. महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा का कानून (2005)

निष्कर्ष:-

समाज में ऐसे ही बहुत सारी अन्य कुरीतियां भी व्याप्त थी परंतु समाज सुधारको तथा बुद्धिजीवियों के प्रयासों के कारण इन कुरीतियों तथा परंपराओं का खात्मा किया गया तथा एक अच्छे आधुनिक समाज का निर्माण किया गया। राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अमानवीय प्रथाओं के उन्मूलन में विशेष योगदान दिया है।

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