भले टटोलती धूप रात में,
देख चांद की लाली,
रखती पग कांटो के डहर पर,
पीती विष भर भर प्याली।
कठिन राह पर सजग मन से,
गाती उमंगी गीत कव्वाली।
सुख दुख हंसना है झोली में,
मैं हुई दुखों की मतवाली।
छूट गया संग मात पिता का,
भूल गए बात वे घरवाली।
कोस रहे अपने किस्मत को,
जन्मी क्यों इस घर में लाली।
मिला शक्ति जो आत्म ग्लानि से,
तो दुत्कार मैं सह लूंगी,
मैं बेल वृक्ष की नव पल्लव पर,
जीवन गाथा लिख दूंगी।
बेटी का जीवन चर्चा:-वर्तमान समय में बेटियों की स्थिति पहले के मुकाबले काफी सुधर चुकी है। परंतु कुछ परिस्थितियों में बेटियों की स्थिति अतीत के समान ही है ।अभी भी बेटियों को घर के कामों में अधिकतम समय देना पड़ता है। बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। उच्च शिक्षा उनके लिए वरदान समान है। बेटियां आज भी बाहर निकलने से डरती हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई भी सही कदम नहीं उठाए गए हैं। बेटियों के काबिलियत पर आज भी शक किया जाता है परंतु इन्होंने साबित कर दिया कि बेटियां भी किसी से कम नहीं है। वर्तमान समय में सेना, वैज्ञानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र एवं विभिन्न क्षेत्रों में बेटियां अपना परचम लहरा रही हैं। |
Its very heart touching poem
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