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मन की बात | man ki baat

 मन की बात:-

जब आप चिल्ला रहे होते हैं तो सुनने वाले बहुत होते हैं पर मन की बात को सुनने वाला कोई नहीं होता है। कभी कभी आपके मन में बहुत सारे विचार एक साथ कौतोहल मचा रहे होते है पर कोई सुनने वाला नहीं होता है।

मन में किसी बात को बहुत दिन तक दबाकर रखने से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में लगता है जैसे सर पर कितना बड़ा बोझ रखा हुआ है। मन करता है कोई ऐसा मिले जिसके सामने मैं अपनी बातो को रख सकु।

जीवन में कठिन परिस्थितियां और सरल परिस्थितियां दोनों होती है परंतु कठिन परिस्थितियों में मन टूट सा जाता है। और यह कठिन परिस्थिति और भी कठिन बन जाती हैं जब आपके जीवन में कोई ऐसा नहीं होता जिसके सामने आप पानी के धारा की तरह बह सकें।
आप कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं,आपके अंदर विचारों की हिलोरे रह-रहकर उठते हैं परंतु उन बातों को समझने और उस पर उचित सुझाव देने वाला कोई नहीं होता है।

             मन के हारे हार है,मन के जीते जीत

यदि आप मन से हार चुके होते हैं तो फिर आपको इस संसार की कोई भी ताकत विजय नहीं दिला सकती परंतु यदि आप मन से जीत जाते हैं तो फिर संसार की कोई भी ताकत आपको हरा नहीं सकती है।

सभी लोग कहते हैं कि अपने जीवन में एक ऐसा व्यक्ति जरूर रखो जो आपकी बातों को ध्यान से सुने और आपकी भावनाओं को दिल से समझे परंतु इस उपभोक्तावादी संसार में ऐसे व्यक्ति की तलाश करना राई के ढेर में सुई खोजने जैसा है।

कितने भी द्वंद तुम्हारे मन में क्यों ना चल रहे हो बस एक बात हमेशा याद रखना यह संसार वैसा ही है जैसा आप देखना चाहते हैं लाख बुराइयों क्यों न हो इस संसार में परंतु आप इस सृष्टि को वैसा ही देखिए जैसा आप चाहते हैं।

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