ठंड का मौसम और चाय:- आज का मौसम
जैसे तैसे दिसंबर का महीना खत्म हो चुका है अब जनवरी चल रहा है। मुझे लगा शायद कैलेंडर बदलने के साथ साथ मेरे जीवन में भी कुछ बदलाव आएगा परंतु ऐसा कुछ विशेष बदलाव देखने को मिल नहीं रहा। नया वर्ष प्रारंभ होने के बावजूद भी कुछ अलग सा नहीं लग रहा। ऐसा लग रहा है जैसे एक दिन पहले सोया था और एक दिन बाद सो कर उठा हूं।
हां यदि मौसम में कुछ परिवर्तन दिसंबर और जनवरी के मध्य देखने को मिलता तो शायद नया वर्ष आने पर कुछ बदलाव दिखने की संभावना हो सकती थी किंतु ऐसा कुछ ना हुआ और ना ही भविष्य में होने की कोई संभावना दिख रही है। जैसी ठंडक और ठिठुरन दिसंबर के आखिरी दिनों में था वैसे ही ठंडक और ठिठुरन जनवरी के शुरुआती दिनों में भी है।
जनवरी का महीना ठंडक का सावन होता है जिस प्रकार हम सावन महीने में झूलों के साथ दिनचर्या गुजारते हैं उसी प्रकार जनवरी के महीने में चाय और पकौड़े के साथ दिनचर्या गुजारते हैं।
चाय को हमारे यहां 'कलयुग का अमृत' कहा जाता है। चाय दिन की शुरुआत का सबसे बेहतरीन माध्यम है खासकर सर्दियों में। विदेशी संस्कृतियों में देखा गया है कि चाय का सेवन सोकर उठते ही करते हैं परंतु भारतीय संस्कृति में सुबह उठते ही पहले मुंह की सफाई की जाती है तदोपरांत चाय या अन्य चीजों का सेवन कर सकते हैं।
आज का मौसम |
आज का मौसम और चाय:-
भारत में चाय पीना एक दैनिक कार्य सा मान लिया गया है। चाय के बिना कुछ ऐसा महसूस होता है जैसे कुछ खो गया है और हम उसकी तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। विद्यार्थी जीवन में चाय का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि चाय पीने तथा पिलाने की प्रथा विद्यार्थी जीवन में एक प्रचलित प्रथा रही है। ऐसे विद्यार्थियों के उदाहरण इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा मुखर्जी नगर के छात्रों के मध्य देखी जा सकती है।
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