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प्रेम में तरफदारी|प्रेम पर कविता हिंदी में

 हिंदी में प्रेम पर कविता- तुम जिस दिन उससे मुक्ति चाहोगी, खुदा कसम नहीं पछताओगी, वह अपने प्रेम की तरफदारी करेगा, वह अपना पक्ष तुम्हारे समक्ष रखेगा, तुम्हें उसकी बातें तार्किक लगेगी, तुम्हें उसकी तरफदारी सही लगेगी, मन के गहवर में थोड़ा ग्लानि होगा, पर  फैसला फिर भी अडिग होगा, तुम जिस दिन उसको ना कहोगी, मौत उस दिन उसको हां कहेगी। हिंदी में कविता हिंदी में शायरियां:- 1-शाम-ए-महफिल में कोई साकी हो तो बताओ, तूफानी समंदर में कोई जहाजी हो तो बताओ,  यूं तो दिल टूट जाने का दावा हर कोई करता है गम-ए-बारात में कोई धोखेबाजी हो तो बताओ। 2-सोलह श्रृंगार कर आई नवेली, पवन घटा संग करत ठिठोली, गरज गरज कर बदरा बरसे, गगन धरा संग करत अठखेली 3-आज तेरे महफिल से रुसवा हुए हम,  एक दिन तेरे जिंदगी से रुखसत हो जाएंगे हम।

व्यंग|अरे तू तो रो दिया|हिंदी में कविता

 हिंदी में कविता:- अरे! तू तो रो दिया, पुरुषार्थ को खो दिया। इतना कमजोर कैसे है तू, इतना अधीर कैसे है तू। लानत है तेरे जीने पर, पुरुष योनि में होने पर। स्त्रियों के जैसा विलाप करता, लोक लाज का ध्यान ना रखता। होता कैसा दर्द है तुझको, समझता कैसा मर्द है खुद को। यह व्यंग सुने हैं मैंने उस क्षण, बही आंखों से धारा जिस क्षण। यदि पुरुष स्त्री सा नहीं रोता है, तो वह अपने गम में कैसा होता है। हिंदी में कविता हिंदी में शायरियां:- 1.मोहल्ले का मोहल्ला घर का घर, उजड़ता जा रहा, यह तबाही है या कयामत के दिन आज बुढ़ापे से यौवन बिछड़ता जा रहा। 2.दो वक्त की खुराक मयस्सर नहीं आजकल, लुटा दूं खजाना गर तू एतबार कर, दीवारों की दरारों से फर्क नहीं पड़ता, बस दरारों के जितना प्यार कर।   3.अभी बारिश तो नहीं हुई यहां, फिर यह तकिया गीला क्यों है, कहते हो कोई गम नहीं मुझे, फिर आंखों का रंग पीला क्यों है। 4.बिखर सा गया हूं, अपनी झोली में भर लो ना, दर्द बहुत गहरा है, बिन कहे समझ लो ना।

Poetry in hindi|हिंदी में कविताएं

दहेज पर कविता: पिता के चेहरे पर मायूसी, मुझसे देखी जाती ना, भाव विभोर हुआ मन मेरा, चैन कहीं भी पाती ना, हुई लालची दुनिया सारी, मैं मोलभाव कर पाती ना, पिता के आंखों में आंसू लाके, दुनिया नहीं बसाना है, मुझे साजन घर नहीं जाना है। ग़ज़ल: लाल स्याही की किताब बन जाओ तुम, सर्द मौसम का आफताब बन जाओ तुम, तुम्हारा सजदा ही हो ख्वाहिश मेरी, मेरे फुलवारी का गुलाब बन जाओ तुम। निशाचरी बेला में जो झकझोर के उठा दे, सर्द रातों की ऐसी ख्वाब बन जाओ तुम। तुम्हारे आगोश में हम खोए रहे दिन रात, मयकदे की ऐसी शराब बन जाओ तुम। हर तरफ बस तुम्हें ही पाने की जिद हो, मेरे दिल के शहर का इंकलाब बन जाओ तुम। उम्र का तकाजा अब जीने नहीं देता, आकर मेरी जिंदगी का शबाब बन जाओ तुम।

बेटी का जीवन|beti ka jiwan

 भले टटोलती धूप रात में, देख चांद की लाली, रखती पग कांटो के डहर पर, पीती विष भर भर प्याली। कठिन राह पर सजग मन से, गाती उमंगी गीत कव्वाली। सुख दुख हंसना है झोली में, मैं हुई दुखों की मतवाली। छूट गया संग मात पिता का, भूल गए बात वे घरवाली। कोस रहे अपने किस्मत को, जन्मी क्यों इस घर में लाली। मिला शक्ति जो आत्म ग्लानि से, तो दुत्कार मैं सह लूंगी, मैं बेल वृक्ष की नव पल्लव पर, जीवन गाथा लिख दूंगी। बेटी का जीवन चर्चा:- वर्तमान समय में बेटियों की स्थिति पहले के मुकाबले काफी सुधर चुकी है। परंतु कुछ परिस्थितियों में बेटियों की स्थिति अतीत के समान ही है ।अभी भी बेटियों को घर के कामों में अधिकतम समय देना पड़ता है। बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए काफी  संघर्ष करना पड़ता है। उच्च शिक्षा उनके लिए वरदान समान है। बेटियां आज भी बाहर निकलने से डरती हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई भी सही कदम नहीं उठाए गए हैं। बेटियों के काबिलियत पर आज भी शक किया जाता है परंतु इन्होंने साबित कर दिया कि बेटियां भी किसी से कम नहीं है। वर्तमान समय में सेना, वैज्ञानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र एवं विभिन्न क्ष

Natural beauty|उसकी तरफ कोई देखता ही नहीं

 आज भी वह शीत वाली सुबह है, आज भी लहलहाते फसलों की खुशबू है, चिड़ियों की चहचहाहट और कोयल की बोली भी है, नहीं है तो किसी के पास समय, इसे देखने का इसे सुनने का इसे महसूस करने का। ठंडी की सुबह आज भी दोनों हाथों से स्वागत करती है, जो उनके प्रेमी हैं, परंतु उसके चौखट पर कोई मेहमान आता ही नहीं। गर्मी की शाम सिर्फ खेतों को ठंडा करती हैं, उसके इस गुण का स्वाद तो कोई लेता ही नहीं। व्यस्ततम दुनिया भूल गई अपने उस साथी को, जो जन्म से मरण तक साथ रहता है, भूल गई उसकी अमिट छाप को,  जो हर पल उसके साथ रहता है। प्रकृति आज भी मुस्कुरा दे गर देख दो उसकी तरफ, कमबख्त उसकी तरफ कोई देखता ही नहीं। Natural beauty चर्चा:- आधुनिक काल में लोक पश्चिमी  संस्कृति की तरफ बढ़ते जा रहे हैं और अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। प्रकृति जो हमारा पालन-पोषण करती है हम उसके महत्व को भूलते जा रहे हैं। हमारे पास अभी इतना भी समय नहीं है की प्रकृति को कुछ समय दान दे सकें। प्रकृति अपनी सुंदरता से अभी भी पूर्ण है परंतु उसकी तरफ किसी की नजर ही नहीं पड़ती, लोग बस कृतिम वस्तुओं की तरफ आकर्षित होते दिख रहे हैं। खेत खलि

Sad love poem in Hindi|साजन कब आओगे

यह हवा का झोंका दरवाजे पर क्यों आता है, मुझे आहट सी होती है उनके आने की, जब से वे गए हैं दुश्मन बन गई येे तितलियां , इनके आने से ख्वाहिश होती है उड़ जाने की। बंजर भूमि पर भी लहलहाता सरसों होता था, सूखी नदियों में भी मछलियों का मंजर होता था, कड़ी धूप में भी सुहावने मौसम का आभास होता था, जब वे और उनका साथ मेरे साथ होता था। लगता है सौतन में मन लगा लिए हो, उसकी मोह में तपस्या भुला दिए हो, क्या मुझसे भी प्यारी बातें हैं उसकी, जो बातों में बातें दबा दिए हो। जब से गए हो क्या याद मेरी ना आई, उसकी आंचल में क्या तुमने करवट लगाई, मैं बिलखती सुलगती विरह अग्नि में, तेरी यादों में बैठी हूं पलके बिछाई। Sad love poetry in Hindi Sad love poem in Hindi चर्चा: - उपरोक्त पंक्तियों में एक स्त्री के विरह का वर्णन किया गया है। अक्सर यह देखा गया है कि जन्म जन्म का साथ निभाने वाला व्यक्ति अपनी पत्नी का साथ छोड़कर बाहर कमाने के लिए चला जाता है। ऐसी परिस्थिति में पत्नी बिल्कुल अकेले पड़ जाती है। क्योंकि ससुराल में पति ही उसका एकमात्र सहारा होता है जो उसकी भावनाओं को समझ सके। Sad love poem in Hindi में वह स्त्री

My father|मेरे पिता

 पिता का कर्तव्य:- अक्सर आपने सुना होगा लोग पिता को उसके कर्तव्य के बारे में बताते रहते हैं परंतु उसकी परिस्थिति को कोई नहीं समझता। पिता अपने अंदर हर गम को छुपा कर परिवार को खुश रखता है। यदि मां को कोई समस्या हो या किसी अवसाद से गुजर रही हूं तो वे अपना सारा दुख पति के आगे रख देती हैं और पति उसे स्वीकार कर लेता है। परंतु यदि पिता को कोई अवसाद या पीड़ा होती है तो वह अपनी बात को दिल में ही दबा कर रखता है और किसी से भी अपने दुखों को नहीं बांट पाता। 1).परिवार की जिम्मेदारी:- ऐसा नहीं है कि स्त्रियां घर के खर्चे में अपना योगदान नहीं देती परंतु अभी भी देश का एक बड़ा हिस्सा उस परिस्थिति से गुजर रहा है जहां पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी एक पिता पर आ जाती है। उस घर में कमाने वाला सिर्फ एक और खर्च करने वाले अनेक होते हैं इससे परिस्थिति गंभीर बनी रहती है। घर में खानपान, पहनावा, इलाज, शिक्षा एवं अन्य चीजों की जिम्मेदारी पिता के माथे पर ही होती है। इन सभी जिम्मेदारियों से एक पिता मुंह नहीं मोड़ सकता। इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पिता किन किन परिस्थितियों से गुजरता है यह समझना बहुत ही मुश्किल