हिंदी में कविता:-
अरे! तू तो रो दिया,
पुरुषार्थ को खो दिया।
इतना कमजोर कैसे है तू,
इतना अधीर कैसे है तू।
लानत है तेरे जीने पर,
पुरुष योनि में होने पर।
स्त्रियों के जैसा विलाप करता,
लोक लाज का ध्यान ना रखता।
होता कैसा दर्द है तुझको,
समझता कैसा मर्द है खुद को।
यह व्यंग सुने हैं मैंने उस क्षण,
बही आंखों से धारा जिस क्षण।
यदि पुरुष स्त्री सा नहीं रोता है,
तो वह अपने गम में कैसा होता है।
हिंदी में कविता |
हिंदी में शायरियां:-
1.मोहल्ले का मोहल्ला घर का घर,
उजड़ता जा रहा,
यह तबाही है या कयामत के दिन
आज बुढ़ापे से यौवन बिछड़ता जा रहा।
2.दो वक्त की खुराक मयस्सर नहीं आजकल,
लुटा दूं खजाना गर तू एतबार कर,
दीवारों की दरारों से फर्क नहीं पड़ता,
बस दरारों के जितना प्यार कर।
3.अभी बारिश तो नहीं हुई यहां,
फिर यह तकिया गीला क्यों है,
कहते हो कोई गम नहीं मुझे,
फिर आंखों का रंग पीला क्यों है।
4.बिखर सा गया हूं,
अपनी झोली में भर लो ना,
दर्द बहुत गहरा है,
बिन कहे समझ लो ना।
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