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संदेश

Hindi poetry|मेरी अधूरी कहानी

हूं मैं शायर कहानी सुनाता तुझे, आ गए पहलू में दिल धड़कने लगा, उनकी होठों की मुस्कान कातिल लगी, धीरे धीरे से सब कुछ समझने लगा। आए हैं मेरे दिल को चुराने यहां, इन अदाओं से मुझको बुलाने लगे, खिंचता चलता गया मैं तो उनकी तरफ, उनकी कातिल निगाहें सताने लगे। आके बोली कि क्या हाल तेरा है अब, तुझे देखे हुए एक जमाने हुए, शायद आई नहीं याद मेरी तुझे, इसलिए बैठे हो तुम भुलाए हुए। इतना सुनकर मेरा हाल ऐसा हुआ, लगता अम्बर से परियां बुलाने लगी, बुझता दिया जला फिर से दिल में मेरे, रफ्ता रफ्ता मेरे पास आने लगी। सपने  बुनता रहा मैं खड़े के खड़े, इतने में एक सुनामी लहर आ गई, मम्मी कहकर पुकारा किसी ने उसे, उसकी बेटी मुझे भी नजर आ गई। सपने  टूटे मेरे मैं तो गया ठहर, नम आंखें मेरी मुझसे कहने लगे, बनजा शाकी मिट जाए गम सारे तेरे, आज मयखाने भी है बुलाने लगे। Hindi poetry मेरी इस कविता को भी जरूर पढ़ें। मानवता की हत्या दर्दे दिल

Hindi poem|संकल्प हमारा है

ठोकर जितनी लगेगी , हौसले उतने ही मजबूत होंगे, आज समय विपरीत है तो क्या, एक दिन यह कायनात भी मेरे होंगे। बंद है मेरी किस्मत, परिस्थिति के तहखाने में, कभी तो मिल ही जाएगी इसकी चाभी, अभी चालाकी इतनी भी नहीं जमाने में। डुबोना तुम चाहते थे पतवार मेरी, डूब तुम्हारा ईमान गया, मैं तो तिनके से भी तैर सकता था, मुझे डुबोते वक्त शायद यह भूल गया। मैं तो पथिक हूं ना रुकना जानता हूं, राहों में पड़े कांटो से लड़ना जानता हूं, यह हुनर मेरी कोई पैदाइशी नहीं, तुमने ही सिखाया है जो मैं चलना जानता हूं। जो ठान कर आए हो यहां, उसे पूरा करके ही सोना है, गर थक कर बैठ गए आज पथ पर, तो अपनी ना कामयाबी पर हर पल रोना है। Hindi poem|संकल्प हमारा है Hindi poem चर्चा:- उपरोक्त पंक्तियां दृढ़ निश्चय और  संकल्प की तरफ इशारा करते हैं। व्यक्ति जब अपने मन में कुछ ठान लेता है और वह अपने कार्य के प्रति ईमानदार हो जाता है तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है।। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में रुकावटें और कठिनाइयां सभी के समक्ष आती हैं परंतु इन कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए बल्कि इनसे मुकाबला करना चाहिए जिससे तुम्हारे सफलता का म

Manavta ki hatya|मानवता की हत्या

था वह युग मानवता का, गज को गणेश बनाया था, सिद्ध किया मानव अस्तित्व को, पत्थर को पूज्य बनाया था। सतयुग,द्वापर, त्रेतायुग में, स्वार्थ मुक्त बलिदान था, खेलते थे भरत सिंह से, मानव जाति पर अभिमान था। आ गया है घोर कलयुग, प्रेम ,स्नेह का अंत हुआ, छल,कपट,चोरी,बेईमानी, मानव स्वभाव का अंग हुआ। क्या कसूर था उस नन्हीं जान का, जिसको कोख में है मार दिया, देख ना पाई चलन जहां का, मां का हृदय भी चीर दिया। मर गए हैं जमीर सबके, यह देख हृदय तड़पता है, छेद हुआ मानवता की जड़ में, छोड़ो, किसी को क्या फर्क पड़ता है। Manavta ki h चर्चा:- यह कविता केरल की घटना से प्रेरित होकर लिखी गई है। जिस प्रकार एक गर्भवती हथिनी की हत्या की गई यह  मानवता की हत्या ही कह लाएगी। मानव सभ्यता प्रकृति के साथ ही प्रारंभ हुई है और मानव को प्रकृति में जीव जंतुओं को भी हिस्सेदारी देनी पड़ेगी। मानव यदि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता है तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी। Manavta ki hatya उपरोक्त पंक्तियों में यह बताया गया है कि किस प्रकार मानव का स्वभाव था कि वह  हाथी को गणेश के समान मानता था परंतु अब केरल में उसी  हाथी की हत्या कर दी गई।

Kisan|रोपण के दिन

पंछी कूदे पल्लव पल्लव, कागा भी टेरी लगाए, भवन छोड़ निकली तितली सब, लगता रोपण के दिन आए। खेतन कामिनी लगी अकेले, रोपत धान मुस्काए, धोती जांघ बराबर बांधे, सावन गीत गुनगुनाए। बार-बार मराल के नयना, अबला को देखत जाए, हिला कपाल दाएं बाएं से, टोली हो रहा चिढ़ाए। मेंढक मेढ़ किनारे बैठा, टर टर की बांग लगाए, डर कर दुबकी मृगनयनी, फिर पति को रही बुलाए। रोपत धान दृश्य देखकर, मन गदगद हुई जाए, लगा  किसान नित्य खेतन में, उसका वही स्वर्ग कहलाए। Kisan ke Ropan ke din शब्दार्थ:- कामिनी-- स्त्री मराल--हंस पल्लव--पत्ता चर्चा:-kisan प्रस्तुत पंक्तियों में गांव के आषाढ़ महीने का वर्णन किया गया है। इस महीने में धान की रोपाई की जाती है। गांव में धान की रोपाई के लिए औरतों की टोली खेतों में काम करती है। पुरुष खेत को बराबर करने तथा रोपने योग्य बनाते हैं। उपरोक्त पंक्तियों में किस प्रकार एक अबला स्त्री खेत में धान की रोपाई करती है तथा उस समय का जो दृश्य है उसी का वर्णन किया गया है। धान की रोपाई करते समय आसपास विभिन्न प्रकार के जीव जंतु तथा पंछियों की कौतूहल रहती है। धान की रोपाई करते समय अबला अपनी धोती को भीगने से

Krishna bhajan|राधा की विरह वेदना

मैं बैठी हूं आस लगाए, कब आओगे नंद गोपाल। तोहरी याद में रैना बीते, तोहरी आस में है जग छूटे, तो ताना देते हैं सब ग्वाल, कब आओगे नंद गोपाल। मथुरा जा के भूल गए तुम, याद निशानी छोड़ गए तुम, की भूल गए घर का चौपाल, कब आओगे नंद गोपाल। तुमको छलिया बोले सखियां, मुझको रुलाती है यह बतियां, की गारी देते हैं हर ग्वाल, कब आओगे नंद गोपाल। असुवन से कजरा मोरा छूटे, व्याकुल मन ह्रदय मेरा रूठे, कि अब तो घर आ जाओ नंदलाल, कब आओगे नंद गोपाल। मैं बैठी हूं आस लगाए, कब आओगे नंद गोपाल। Krishna bhajan चर्चा:- Krishna bhajan इस भजन में राधा के विरह का वर्णन किया गया है। जब श्री कृष्ण अपने मामा कंस के बुलावे पर मथुरा चले जाते हैं तो काफी समय बीत चुका होता है परंतु श्री कृष्ण वापस गोकुल नहीं आते। ऐसी परिस्थिति में राधा का मन बहुत दुखी हो जाता है की लगता है श्री कृष्ण मुझे भूल चुके हैं। राधा वृंदावन में बिल्कुल अकेली पड़ गई है। श्री कृष्ण के साथ के बिना उसका जीवन बिना माली के बाग के बराबर हो गया है। राधा श्री कृष्ण के इंतजार में अपनी पलकों को बिछा कर बैठी हुई है की कब मेरे कृष्ण आएंगे और मुझे अपने बांसुरी की मधुर धुन

Love poetry|दर्दे दिल

इश्क के नाम को ना दागदार बनाओ तुम, मेरे सीने पर बैठकर ना आग जलाओ तुम, जानता हूं खंजर, छूरी, भाला, सब है तुम्हारे पास, सीधे छाती में उतार दो ना तड़पाओ तुम। जाने कौन सी घड़ी थी,   जब मुलाकात हुई तुमसे, तुम्हारी साजिश को ना समझ सका, जब बात हुई तुमसे, मैं बेखबर रहा तुम्हारी हर एक बात से, दीया क्यों मुझे यह जख्म, जाने कौन सी भूल हुई मुझसे। समझ सकी ना मेरी चिंता, मैं आस लगाए बैठा था, नैया डूब रही सरिता में,  मैं पार जाने को बैठा था। चली गई छोड़ कश्ती में, संसार हमारा डूब रहा, खत्म किया रिश्ते नाते सब, तिनके का भी सहारा ना रहा। कौन करेगा तुम पर भरोसा, करनी तुम्हारी दूषित है, सिसक सिसककर रोवोगे तुम, यह तन मन सब प्रदूषित है। छोड़ो तुमको माफ किया मैं, होगा किसी पर अब विश्वास नहीं, बन सकी ना तुम मेरी अर्धांगिनी, तुम नहीं तो कोई और सही। Love poetry Love poetry in Hinglish:- Ishq ke naam ko na dagdar banao Tum, Mere Sine per baithkar na Aag jalao tum, Main jaanta hun Khanjar chhori sab hai tumhare pass, Sidhe chhati mein utar do Na tadpao Tum.

ईद आई है|Eid Mubarak

रोशन किया जहां सारा, मन में एक उम्मीद जगाई है, चमक उठा धरती अंबर सब, कि ईद आई है, ईद आई है। कानों की लटकती बाली ने, हाथों में चमकती लाली ने,   घर में खिलती खुशहाली ने , यह संदेशा लाई है, कि ईद आई है, ईद आई है। ईदी के चमकते सिक्को ने, गुल महकाते हर रिश्तो ने, अल्लाह के भेजे फरिश्तों ने, सबको यह बतलाई है, कि ईद आई है, ईद आई है। लड़ियों से सजती गलियों ने, इत्र से महकती सखियों ने, मस्जिद पर दिखती परियों ने, यह संकेत दिखाई है, कि ईद आई है, ईद आई है। ईद मुबारक ईद:-        ईद मुस्लिम धर्म का एक पवित्र त्यौहार माना गया है। यह रमजान महीने के रोजे खत्म होने के बाद मनाया जाता है। रमजान के महीने में मुस्लिम धर्म के लोग उपवास रखते हैं जिसे रोजा कहा जाता है। प्रस्तुत पंक्तियां ईद की आने के संकेतों का वर्णन करती है। ईद के दिन मुस्लिम औरतें तथा पुरुष नए-नए वस्त्र धारण करते हैं तथा अपने सगे संबंधियों के घर जाकर गले लग कर मुबारकबाद देते हैं। इस त्यौहार से आपस में भाईचारा बनाए रखना तथा मिल जुल कर रहने का संकेत मिलता है। ईद के त्यौहार के दिन सभी लोग ईदगाह पर एकत्