मैं बैठी हूं आस लगाए, कब आओगे नंद गोपाल। तोहरी याद में रैना बीते, तोहरी आस में है जग छूटे, तो ताना देते हैं सब ग्वाल, कब आओगे नंद गोपाल। मथुरा जा के भूल गए तुम, याद निशानी छोड़ गए तुम, की भूल गए घर का चौपाल, कब आओगे नंद गोपाल। तुमको छलिया बोले सखियां, मुझको रुलाती है यह बतियां, की गारी देते हैं हर ग्वाल, कब आओगे नंद गोपाल। असुवन से कजरा मोरा छूटे, व्याकुल मन ह्रदय मेरा रूठे, कि अब तो घर आ जाओ नंदलाल, कब आओगे नंद गोपाल। मैं बैठी हूं आस लगाए, कब आओगे नंद गोपाल। Krishna bhajan चर्चा:- Krishna bhajan इस भजन में राधा के विरह का वर्णन किया गया है। जब श्री कृष्ण अपने मामा कंस के बुलावे पर मथुरा चले जाते हैं तो काफी समय बीत चुका होता है परंतु श्री कृष्ण वापस गोकुल नहीं आते। ऐसी परिस्थिति में राधा का मन बहुत दुखी हो जाता है की लगता है श्री कृष्ण मुझे भूल चुके हैं। राधा वृंदावन में बिल्कुल अकेली पड़ गई है। श्री कृष्ण के साथ के बिना उसका जीवन बिना माली के बाग के बराबर हो गया है। राधा श्री कृष्ण के इंतजार में अपनी पलकों को बिछा कर बैठी हुई है की कब मेरे कृष्ण आएंगे और मुझे अपने बांसुरी की मधुर धुन...
कुछ कर गुजरने की जिद है, लोग औकात नापते हैं, गर्दन काट सकती है जंग खाई तलवार भी, पर लोग उसकी धार नापते हैं। रचनात्मकता के तत्व,हिंदी कविता संग्रह, हिंदी कहानी,हिन्दी कविता , हिंदी कविता माँ पर,कविता लेखक, हिंदी कविताएं,