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दिल्ली हिंदू मुस्लिम हिंसा...

 There is a poem related to Delhi Hindu Muslim voilance,many people are injured in this voilance.poor people are mostly effected.

                                 हिंसा

यह क्या कर दिया तुमने, यह कैसी आफत आई
किसी ने भड़काया था तुमको ,यह क्यों समझ ना आई।
सियासी रंजिश में फंस गए, उनका काम आसान किया
फूंक दिया अपना ही घर, और सोचा वह क्या काम किया।

जला दिया उनकी भी ठेली, जिनका कोई कसूर नहीं
धर्म जाति से क्या मतलब, उनको खाने को कौर नहीं
भूखे उनके बच्चे हैं, क्या तुमको यह ज्ञात नहीं
कहां से लाएंगे वे भोजन, जब कमाने की युक्ति नहीं।

मार दिया उनको भी तुमने ,जो तुम्हारे रक्षक थे
जान बचाने आए तुम्हारा, तुम समझे कि भक्षक थे
क्या जवाब दोगे तुम उनको, जिसने अभिभावक खोया है
ये दंगाइयों शर्म करो ,क्या तुम्हारा जमीर सोया है।

बापू का यह देश है भारत ,जिसने अहिंसा थी अपनाई
झुका दिया सर विश्व पटल पर, तुमको जरा भी शर्म ना आई।
विनम्र भाव से आग्रह करना, यही भारत का अतीत रहा
उठा लिया शस्त्र हाथों में, देख देव भयभीत रहा।

बंद करो अब नादानी, बहुतों का खून बहा लिया
कोई मतलब नहीं तुम्हें देश से, तुमने यह है बता दिया
फस जाओगे फिर कुछ दिन में ,आधुनिकता की जंजीरों में
फेसबुक और व्हाट्सएप के मीम के जंजलो में।

नहीं भूलेगा उनको यह दिन, जिसने परिवार को खोया है
बैठे उनके लाशों के आगे ,जिसने तिल तिल कर रोया है।


                                              --वीरेन्द्र प्रताप वर्मा

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